जीवन का रेसिपी 

दवा भी

दुआ भी 

पानी भी
और खून भी 

रिश्ते नाते इंसानो को भी
हर मोड़ पे बिकते देखे है 

हर गली चौक चौराहों पर 
रिश्वत को भी रिसते देखे है

जो बिका नही और रीसा नही 
बस बचा रहा तुफानो से 

ऐसे इंसानो के जीवन को 
तुम रेसिपी बनाकर पी लो ।।

गर सफलता पानी है 
ये काम अनोखा कर लो तुम 

जब मन में  उठे हुकारो को 
तन मन से पुरा करना है

तुफानो के झोंके से तूम
बस डटे रहो,अडिग रहो

पलभर में सब टल जाएगा 
सब कुछ का हल हो जाएगा 

है सफल वही जो विफल रहा
जो कर्म पथ पर अटल रहा 

ऐसे इंसानो के जीवन को 
तूम रेसिपी बनाकर पी लो।।

कुछ लोग अभी भी जलते है 
उन रस्तो पर  ही चलते है 

बेवजह उलझ कर मरते है
सच्चाई से बस डरते है

मर कर भी जो अमर है
जिसकी सबको खबर है

है वीर वही समसिर वही 
देश के असली तकदीर वही

ऐसे इंसानो के जीवन को
तुम रेसिपी बनाकर पी लो ।।

       सुजीत पाण्डेय “छोटू

Author: सुजीत कुमार पाण्डेय

मैं सुजीत कुमार पाण्डेय बिहार के जिला बक्सर प्रखंड सिमरी गाँव गोप भरौली का निवासी हूँ ।

4 thoughts on “जीवन का रेसिपी ”

  1. बहुत खूब सुजीत..बेहतरीन रचना है आपकी लेकिन बस आप वर्तनी की त्रुटि को ध्यान में रखें!!😊😊👌👍

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