। दो जिस्म एक जान ।

रोहित रात का खाना बाहर से ही लेकर आया था । रूम पहले से ही बुक था । यात्रा लंबा होने की वजह से भारी भरकम समान लिया नह था और वैसे भी किराए पर मिल रहे होटलों में सारी सुविधा रहती है फिर भी अपने साथ 2 बेडसीट, 2 हॉफ फूल पेंट और बाकी कुछ डेली जरूरत के सामान जैसे ब्रश, कोलगेट इत्यादि । होटल रोड से क़रीब सौ मीटर की दूरी पर था । अगर होटल की काया कल्प की बात की जाय तो अच्छा खासा डबल बेड का  रूम, साथ मे 1 टेबल और दो कुर्सियाँ, सोनी की 52 इंच की टीवी, टॉयलेट, बाथरूम सबकुछ अलग अलग,कमरा पुरा  सुंदर टाइल्स लगा था जिसकी चमक खुद के चेहरे को भी झलक दे रही थी  ।
मोबाइल से कुछ देर बात और चैटिंग करने के बाद रोहित खाना खाया रोटी , सब्जी ,चावल ,डाल और सलाद साथ मे कोई अपना नही होने से … एक छोटी बियर की बोतल …. खाना पीना खाकर  दिन भर यात्रा की थकान से जल्दी सो गया ।
रात के लगभग पौने दो बजे रहे होंगे, जल्दी सोने से नींद पहले ही खुल गई पर जग कर भी क्या करता । सोचा सोते ही रहते है ताकि नींद आये तो अगले दिन घूमने जा सकते है ….

तब तक आवाज आती है । ” कौन है ?

इतनी रात में इस तरह की कहाँ से आई सोचने लगा फिर रूम का दरवाजा खोला, गलियारे में झाँक कर देखा कोई दिखाई दिया नही । रोहित को लग रहा था कि उसे वहम हो रहा है । बेकार में ऐसी छोटी बातों को क्यों सोचना ….
पुनः एक बार फिर से वही आवाज आती है “कौन है ? और दरवाजा खटखटाने की आवाज आई … रोहित फिर सोचा कि कौन है जो ऐसा कर रहा है … इतनी रात में और फिर लड़की का आवाज ….. 

दरवाजा खोलता है .. फिर कोई नही दिखता है ।
चूंकि कमरे के आसपास रूम खाली होने से सभी रूमों में ताले जड़े थे व होटल वाले से अनजान होने से एरिया के बारे में अच्छी तरह मालूम नही था । 

दूसरी बार हुई ऐसी आवाज ने रोहित के  पैरों तले घरती खिसक गई, मन मे डर पैदा कर ही दिया था पर किसी तरह उठकर खिड़की खोला तो बाहर बगीचे से सुंदर हवाएं आ रही थी , रात में जबरदस्त बारिश हुई थी । बॉस के पेड़ों से निकले कोपड़ और पत्ते हवा की झोको में इधर उधर जाने से थोड़ा सा आवाज आ रहा था पर वो आवाज किसी लड़की का था । तब तक रोहित को ऐसा आभास हुआ कि उसका पीछे कोई खड़ा है , पलभर के लिए ये क्षण फिर से डराने वाला था फिर हिम्मत दिखा वह झटके से पीछे हुआ पर कोई दिखा नही । 
रोहित लाइट जलाकर अपने डर को कम करना चाहा पर फिर सो जाने के लिए बेड पर चला गया । अभी 2 मिनट ही हुए थे कि कुर्सी अपने आप सरकने लगी । झट से उठा और देखा तो खिड़की खुली छोड़ दी थी, हवा  की रफ्तार तेज होने से प्लास्टिक की कुर्सी सरक रही थी । फिर लेट गया । देखता है कि आँख के सामने छत पर एक गोल सा चेहरे का प्रतिबिंब दिखाई दे रहा है । जो उसके चेहरे से मिल रहा है । देखते ही पूरा बदन सिहर गया । रोंगटे खड़े हो गए । किसी तरह से अपने आराध्य देव गुरु का नाम लिया और उसके बाद हनुमान चालीसा पाठ करने लगा । आखिर कब तक पाठ करते रहता कुछ देर बाद खुद से थोड़ा सुकून मिला कि टेबल पर रखा हुआ गिलास धड़ाम से नीचे गिरा इस बार झट से अपने मोबाइल की लाइट जलाई तो समाने देखता है कि चूहा पड़ा है ,शायद कुछ खाने के लिए आया हो ।
बाकी के 3 घंटा गुजारना बहुत कठिन लग रहा था । ऐसे लग रहा था इस रात वह जिंदा बच जाय तो जिंदगी पूरी तरह आसानी से काट लेगा, सोच ही रहा था कि पायल की खनक सुनाई दी, तपाक से मोबाइल लेने भागा तब तक ऐसा महसूस हुआ कि कोई उसे जोर से धक्का दे दिया हो, गिर पड़ा । 
जब सुबह उठा तो खुद को जमीन पर लेटा हुआ पाया । कुछ देर के लिए डर गया पर सामने खिड़की से सूरज की किरणें आ रही थी । मोबाइल लेकर अपनी दोस्त रिया को रात की सारी घटना बताई ।

आगे की कहानी के लिए कृपया थोड़ा वक्त लगेगा ।। 

sujit1992.blogspot.com

Author: सुजीत कुमार पाण्डेय

मैं सुजीत कुमार पाण्डेय बिहार के जिला बक्सर प्रखंड सिमरी गाँव गोप भरौली का निवासी हूँ ।

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