दोस्तो ,दिल्ली की अजीब दास्तां है । सच मे किसी ने कहा है दिल्ली में दिल तो है ही नही अगर कुछ है तो भागादौड़ी ।
अगर दिन की शुरुआत करें तो देखते है लोग केवल और केवल भागते नजर आते है शायद कोई रितेदार भी मिल जाये तो कुशल क्षेम पूछने की फुरसत नही ……
अब इसी भागदौड़ भरे जीवन के कुछ पलों में खुद को मनोरंजन करने हम इंडिया गेट पहुचे । हम लोग कश्मीरी गेट से समय शाम 7 बजे मेट्रो से पीली लाइन के पटेल चौक मेट्रो स्टेशन पहुचे जहाँ से गेट न 3 से बाहर निकलकर जाना था और यहाँ से इंडिया गेट और राष्ट्रपति भवन ठीक बीच मे पड़ता है । खैर वहाँ तक का सफर हमलोगो ने पैदल ही सफर किया । रास्ते मे दोनों तरफ हरी भरी घास और कुछ खूबसूरत पौधे जिनसे मनमोहक सुगंध वातावरण को सौंदर्य की अनुभूति करा रहा था ।
इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन की दूरी लगभग 2.5 km की है पर इतनी दूरी देखने मे तो कम लगती है पर चलते चलते लोग थक जाते है । गनीमत था कुछ घंटे पहले बारिश हुई थी इसकी वजह से मौसम सूहाना हो चुका था और फिर रास्ते मे लोगो का आना जाना देखकर हम लोग इंडिया गेट पहुँच ही गए ।
वहाँ के बारे में क्या कहना ,शाम के वक़्त हजारो हजार की संख्या में लोग वहां अपने परिजनों व दोस्तो के साथ पहुचते है ,लाइटिंग की अच्छी व्यवस्था बहूत ही अच्छी थी । बच्चो के मनोरंजन के लिए कार व मोटरसाइकिल वहाँ मौजूद रहती है जो बच्चो के लिए बेहद खास साधन है, साथ ही गुबारे और लाइट जलते सिंग भी लड़को को खूब भाते ही ।
वयस्क लोग वहाँ सेल्फी लेने में व्यस्त दिखाई पड़ते थे और उन सब के बीच हम लोग भी बहुत सारे फ़ोटो सूट किये । हमारे कविवर राम शरण जी ने अपने कला का प्रदर्शन करते हुए 20-25 फ़ोटो खिंचे जो वाकई बेहद सुंदर और आकर्षक है । हम दोस्तो का विचार आया कि इस शुभ समय पर क्यों न fb लाइव आकर इंडिया गेट के बारे में दो शब्द कह ले फिर मिलकर पहली बार fb live पर आकर बहुत ही अच्छा महसूस किए ।
इंडिया गेट का सुप्रसिद्ध झालमुढ़ी का भी हमलोगों ने मिलकर आनंद उठाया। वहाँ सुरक्षा के लिए तैनात जवानों को देखकर दिल मे देश भक्ति और भारत के गौरवशाली इतिहास पर इतिहासकर व कविवर राम शरण जी ने प्रथम विश्वयुद्ध में मारे गए भारतीयों के प्रति अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित कर उसके बारे में चर्चा किए।
वहाँ से वापिस लौटते समय रात के 10 बज गए थे वापिस आकर पटेल चौक मेट्रो स्टेशन के बाहर ही कुछ देर विश्राम किये तब तक खबर मिली कि मेट्रो किसी कारणवश कुछ समय के लिए बंद है । लगभग20 मिनट वहाँ गुजारने के बाद हम लोग 10.30 बजे तक रूम वापिस आये।।आने के ततपश्चात हम लोगो ने इंडिया गेट के बारे में कुछ जानने कि प्रयास किया कि क्योँ इंडिया गेट बनाना अतिआवश्यक समझे सर् हार्वर्ड लूटियन ने का कहना था कि इंडियन फौज हमारे तरफ से प्रथम विश्व युद्ध मे लड़ते हुए प्राणों की आहुति दिया उनकी बलिदानो की याद रखने के लिये सर् हार्वर्ड लूटियन ने इसकी निब रखी आज के दौर में