कितना बदल गया इंसान 

। कितना बदल गया इंसान ।

      
दिन वो क्या थे जब मिलजुल कर चलते थे साथ
आज दोस्ती यारी छोड़ सब बैठे मोबाइल के पास

आपस मे करते थे कही जाने आने घूमने का प्लान ।
आज दैनिक जीवन मोबाइल से लगती है बेजान ।

होता नही है कही कोई घर का काम 
पर रहते है दिनभर मोबाइल में परेशान

उठते,बैठे,चलते-फिरते बस इसका रहता ध्यान 
80 साल की दादी हरदम देखकर रहती है हैरान

कितना बदल गया इंसान ।

चंद लोगो की जिंदगी बनाया 
ढेरो की जिंदगी किया तमाम

फेसबुक, व्हाट्सएप्प है इसकी दुकान ।
सुबह खुल जाता, दिन भर रहता जाम ।।

जियो, एयरटेल, आईडिया, इसके है जान 
सस्ते पैक देकर पहले बाद बनाता है जुलाम ।।

कितना बदल गया इंसान

घर परिवार की सुध नही 
रिश्ते हुए कल्पना के नाम

बधाई हुआ मैसेज से तमाम ।
मिलने पर होता नही राम राम ।।

कितना बदल गया इंसान ।।
         

Author: सुजीत कुमार पाण्डेय

मैं सुजीत कुमार पाण्डेय बिहार के जिला बक्सर प्रखंड सिमरी गाँव गोप भरौली का निवासी हूँ ।

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